डोली ( Doli ) : एक पिता की तपस्या
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी, मुझे हंसकर आप विंदा करना , हम कैसे सुख-दुख बांटा […]
मैं जब डोली ( Doli ) में बैठूंगी पिता जी, मुझे हंसकर आप विंदा करना , हम कैसे सुख-दुख बांटा […]
परिवार के मंगल के लिए, भुखे रह जाने की शक्ति, एक माँ के सिवा और किस में है, माँ
माँ बाजार से लाई थी एक दुपट्टा ( ek duptta ) मोतियों से जड़ा, उसे रखती थी बहुत संभालकर, उस
माँ की यादें ( maa ki yaaden ) अब मेरा जीवन, बुझा-बुझा सा रहता है अब मेरा मन, मेरा
बेटी के लिए भी खुले रखना द्वार माँ, अपने दिल के भी अपने घर के भी, मुझे भी करना
मुझे जी-भरकर सोना है पापा, मुझे आपके जैसा क्यों होना है पापा, मैं अलग हूँ (main alag hoon ) मेरे
माँ की प्रार्थना ( maa ki prarthana ) जीवन बदल देंगी, हमारी हर मनोकामना सफल कर देंगी, वो अपनी प्रार्थनाओं
एक औरत का माँ बनना (maa banna), बड़े सौभाग्य की बात है, नन्ही सी जान को सीने से लगाना, मीठी-मीठी
माँ चाँद को छूकर देखना है(maa chand ko chhookar dekhana hai) , कुछ पल उसके संग खेलना है, मेरे लिए
मेरी नटखट चुटकी (natkhat chutaki ) क्यों बैठी है मुंह फुलाकर, अपना प्यारा-सा चेहरा एक तरफ घूमाकर, छोटी-छोटी बात पर